
भावनाओ से भरा है दिल
है उलझन क़ि कागज़ में
आज किसे उतारू
सैकड़ो ख्याल सैर पर है
ज़ेहन के बाग़ में
तो अब किसे बुलाऊं
नाराज़गी और प्यार वहाँ
गुफ्तगू में है लगे
जाने कौन किसे मना रहा
सूखे पत्तों के ढेर के पास
तन्हाई थी सुबकती
अब भला उसे कैसे मनाऊं
कहती है आहट भी तंग
करती है, इस भीड़ को
कैसे दूर भगाऊं
गुस्सा जो बैठा था तख़्त में
उसे ख़ुशी न जाने क्या
लगी थी समझाने
वो था जो मानता न था
ख़ुशी बेचारी बोले
कैसे अपनी याद दिलाऊं
गुस्सा तो पुराना करीबी है
सोचती हूँ उसे दूर से
ही नमस्ते कह जाऊं
अतिथि बन जो आता है
पर जाने का नहीं पता
ख़ुशी संग बाँधा है ताकि
जल्द से इसे भगाऊं
जलन और अपनत्व भी है
जो मेरे पीछे चले आ रहे
कहते है "दिया" सुनो
संग चलेंगे तो मिलेगा
साथी जो कही छूट गया
ओह! आपको एक से मिलाऊं
पड़ोस में जो मेरे रहता हैं
दर्द जो किरायेदार था
मेरे ही कमरे को दबोचे
मालिक बना घूमता
कहता जाऊँगा, जो मै
उसे यादों की रकम थमाऊं
इस सांझ के अँधेरे में
आज ये कुछ ही मिल पाए
बताइए आप ही अब
इन मेहमानों को
क्या समझाऊं
ये आत्मा की ज़मीन मेरी
है कमरा दिल का भी
तो क्यूँ इन सभी को
रोज मुझे खत्म करने को
आपने यहाँ दावत पर बुलाऊं .........
है उलझन क़ि कागज़ में
आज किसे उतारू
सैकड़ो ख्याल सैर पर है
ज़ेहन के बाग़ में
तो अब किसे बुलाऊं
नाराज़गी और प्यार वहाँ
गुफ्तगू में है लगे
जाने कौन किसे मना रहा
सूखे पत्तों के ढेर के पास
तन्हाई थी सुबकती
अब भला उसे कैसे मनाऊं
कहती है आहट भी तंग
करती है, इस भीड़ को
कैसे दूर भगाऊं
गुस्सा जो बैठा था तख़्त में
उसे ख़ुशी न जाने क्या
लगी थी समझाने
वो था जो मानता न था
ख़ुशी बेचारी बोले
कैसे अपनी याद दिलाऊं
गुस्सा तो पुराना करीबी है
सोचती हूँ उसे दूर से
ही नमस्ते कह जाऊं
अतिथि बन जो आता है
पर जाने का नहीं पता
ख़ुशी संग बाँधा है ताकि
जल्द से इसे भगाऊं
जलन और अपनत्व भी है
जो मेरे पीछे चले आ रहे
कहते है "दिया" सुनो
संग चलेंगे तो मिलेगा
साथी जो कही छूट गया
ओह! आपको एक से मिलाऊं
पड़ोस में जो मेरे रहता हैं
दर्द जो किरायेदार था
मेरे ही कमरे को दबोचे
मालिक बना घूमता
कहता जाऊँगा, जो मै
उसे यादों की रकम थमाऊं
इस सांझ के अँधेरे में
आज ये कुछ ही मिल पाए
बताइए आप ही अब
इन मेहमानों को
क्या समझाऊं
ये आत्मा की ज़मीन मेरी
है कमरा दिल का भी
तो क्यूँ इन सभी को
रोज मुझे खत्म करने को
आपने यहाँ दावत पर बुलाऊं .........
सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर...दिल को छू गई रचना!
ReplyDeleteआभार इस प्रस्तुति का!
Shukriya Sanjay ji...
ReplyDeletebahut khoob seemaji..........bahut andar tak smayee hui rachna.........
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