
कह देती की मजे में बीत रही
है ये ज़िन्दगी मेरी
कैसे कहूँ की वक़्त काट रही।
हर मौसम कब आता जाता
नहीं होता अहसास
बताऊं क्या, कैसे बरखा भीगा रही।
आँखे बंद करू तो भी मुझे
रास्ता पहचान जाता
जाने कैसे मोड़ ज़िन्दगी दिखा रही।
अनजाने चेहरे भी भी अब तो
पहचाने लगते है
फिर क्यू अपनों की ही पहचान नहीं।
झोली हर दम भरी रहती
देने को प्रेम
क्यू किसी की इसे पाने में ललक नहीं।
हर किसी को मिली है जो
उसकी जगह हमेशा
मेरे दिल को भी मिलेगी छाया कही।
सागर से जा मिलती है
जब हर नदी
मिलेगी धारा आँसुओ की बही।
मतलब निकालते है लोग
जो मेरी बातों का
कोई तो सुनाता मेरे दिल की कही.........