Wednesday, October 14, 2009

हसरत

तेरे ना पहचानने का मुझे कोई भी गम नहीं,
अब तो आइना भी कहता है तुझे देखा है कही,

जिगर में हर गम छुपाया तो ये हालात हुए,
होता है मलाल क्यू ना दिल की बात कही,

यू ना बिखरते जो थाम लेते तुम हमको,
उस लम्हां तेरा वो फ़ैसला लगता था सही,

कितने ख्वाब इन दरियाओं में थे तैरते,
अब तो इन में कोई हसरत भी रही,

झुका लो नजरे अपनी बेअशक़ हो तो भी,
मेरी चाहत की कब्र है तेरे सामने यही.

4 comments:

  1. "जिगर में हर गम छुपाया तो ये हालात हुए,
    होता है मलाल क्यू ना दिल की बात कही,"

    बहुत उम्दा शे'अर कहा है...

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  2. कितने ख्वाब इन दरियाओं में थे तैरते,
    अब तो इन में कोई हसरत भी न रही,

    झुका लो नजरे अपनी बेअशक़ हो तो भी,
    मेरी चाहत की कब्र है तेरे सामने यही.

    बहुत खूबसूरत रचना---
    पूनम

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  3. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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