तेरे ना पहचानने का मुझे कोई भी गम नहीं,
अब तो आइना भी कहता है तुझे देखा है कही,
जिगर में हर गम छुपाया तो ये हालात हुए,
होता है मलाल क्यू ना दिल की बात कही,
यू ना बिखरते जो थाम लेते तुम हमको,
उस लम्हां तेरा वो फ़ैसला लगता था सही,
कितने ख्वाब इन दरियाओं में थे तैरते,
अब तो इन में कोई हसरत भी न रही,
झुका लो नजरे अपनी बेअशक़ हो तो भी,
मेरी चाहत की कब्र है तेरे सामने यही.
Wednesday, October 14, 2009
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"जिगर में हर गम छुपाया तो ये हालात हुए,
ReplyDeleteहोता है मलाल क्यू ना दिल की बात कही,"
बहुत उम्दा शे'अर कहा है...
कितने ख्वाब इन दरियाओं में थे तैरते,
ReplyDeleteअब तो इन में कोई हसरत भी न रही,
झुका लो नजरे अपनी बेअशक़ हो तो भी,
मेरी चाहत की कब्र है तेरे सामने यही.
बहुत खूबसूरत रचना---
पूनम
Shukriya Jharokha ji.....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
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