कीनारे ने पूछा किनारे से,
कहो तुम मुझसे दूर हो कीतने?
लगते हो हर तरह ही मुझसे,
फिर भी क्योंतुम अलग हो इतने?
दुशट बड़ी है है ये नदीया,
खुश है जो हमे जुदा किया,
राज शायद ये नहीं बताएगी,
मिलने से हमारे न जी पाएगी,
हमारे बिच यही है बड़ी दरार,
मील न सके जिससे हमारे विचार,
वो किनारा बोला कुछ रुक कर,
कुछ इसे समझने का प्रयास कर,
यही तो है जो हमें मिलाती,
मध्य हमारे है जो प्रेमपाती,
हम भी न जीते पाते कभी,
जो ये ना बहेगी यहाँ अभी,
Friday, September 11, 2009
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